Saturday, April 9, 2011

बाल दिवस

यह गीत कई साल पहले हमे स्कूल मे सिखाया गया था। हमारे संगीत शिक्षक – अवस्थी सर – हम बच्चों को बहुत पसंद थे। उन्होने एक दिन हमे 'चाचा नेहरू' के बारे मे बताया। उनसे हम यह समझ पाये कि बाल दिवस जवाहरलाल नेहरू के जन्म-दिन पर इस लिये मनाया जाता है क्योंकि उन्हे बच्चों के साथ बडा लगाव था। यह गीत इसी बात को दर्शाता है।


-हो-हो-हो

बाल दिवस आया है आज

चाचा नेहरू का जन्मदिन है आज


आओ खुशियाँ मनायें

हम झूमे-नाचे-गायें

-हो-हो-हो

बाल दिवस आया है आज.....


चाचा नेहरू बच्चों को भाते थे

उनके मन को लुभाते थे

सब बच्चों को गले से लगाते थे

चाचा बच्चों पे खुशियाँ लुटाते थे


-हो-हो-हो

बाल दिवस आया है आज....


आज जब यह गीत याद आता है, तो हँसी नही रुकती। सिर्फ इस गीत का बचपना ही नही, इस हँसी का इक और भी कारण है। आज इतिहास पढने पर यह मालूम पडता है कि नेहरू जी का बच्चों पर लगाव सिर्फ स्कूल मे नन्हे-मुन्नों को ही पढाया जाता है। इतिहास के पन्नों मे बच्चों के इस प्रेम की याँ तो कोई जगह नहि, याँ तो यह बस महॉल हलका करने के काम आता है। ढूँढने पर पता चलता है कि 'बाल दिवस' पंडित नेहरू के देहांत के बाद सन १९६४ मे पहली बार मनाया गया था। इसके पहले अंतर्राष्ट्रिय बाल दिवस २० नवंबर को मनाया जाता था। '६४ के बाद कोई स्कूल शायद १४ नवंबर मनाने से नहि चूका होगा। हाँ, वे बच्चे ज़रूर चूके होंगे जिन्हे पढाई नसीब नही। मानो ऐसे किसी बच्चे को बाल दिवस पर हम देखें, तो हमारे मन मे क्या आये......? कभी कभी तो यह भी ख़याल आता है कि क्या ये सब दिखावा तो नहिं ? जहाँ इतने सारे बच्चे बेज़ार पडे हों, वहाँ बाल दिवस मनाने से क्या मतलब बनता है ? हाँ, ये ज़रूर है कि आप बच्चों को उनका अपना इतिहास देते हो, जो उन्हे पसंद आता है। फिर वह बच्चे आपका विश्वास करेंगे, क्योंकि वे आपका कहा समझते हैं। और बच्चों का विश्वास आपका भविष्य मज़बूत बनाता है। जी हाँ, मै आपसे ही बात कर रहा हूँ, आप जो उत्सव तारीकें और आज का इतिहास रचते हैं.........

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